विवरण: रात ढलते ही मुझे अपने कामुक उभारों को सहलाते हुए आत्म-आनंद में सांत्वना मिलती है.मेरी उंगलियां मेरे पर्याप्त वक्ष पर नृत्य करती हैं, परमानंद की लहरें प्रज्वलित करती हैं.यह अंतरंग यात्रा मेरी अद्वैत इच्छा और आत्म-भोग की अतृप्त प्यास का प्रमाण है.