विवरण: बरसों बीत गए, लेकिन निषिद्ध इच्छा कभी फीकी नहीं पड़ी। मेरी सौतेली माँ का निषिद्ध आकर्षण मेरे दिमाग में बसा रहा। उनका कामुक फिगर और मोहक आकर्षण अप्रतिरोध्य था। जैसे-जैसे हमारा गुप्त संबंध तेज होता गया, वासना और प्रेम के बीच की रेखाएं धुंधली होती गईं।