विवरण: जब मेरा सौतेला भाई रसोई में ठोकर खाता है, तो मैं आत्म-आनंद में डूब जाती हूं। उसकी आँखें बड़ी हो जाती हैं, लेकिन वह संकोच नहीं करता। वह उत्सुकता से उसमें गोता लगाता है, मेरे मीठे अमृत को खा जाता है। निषिद्ध फल का स्वाद उसकी वासना को भड़काता है, एक उग्र, भावुक मुठभेड़ को प्रज्वलित करता है।